प्रस्तावना
भारत अपनी विशाल और विविध जनसंख्या के साथ अपने नागरिकों के लिए रोजगार अवसर उत्पन्न करने की एक महत्वपूर्ण चुनौती का सामना कर रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने वर्षों से कई उपाय और नीतियाँ लागू की हैं। आइए इन पहलों का विस्तार से अध्ययन करें:
1. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA):-
- विवरण: NREGA, जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण रोजगार सृजन कार्यक्रमों में से एक है। यह ग्रामीण परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन की मज़दूरी रोजगार की गारंटी देता है, जो मुख्यतः अकुशल श्रम पर केंद्रित है।
- सिद्धांत:-
- केनेसियन अर्थशास्त्र: यह सिद्धांत आर्थिक मंदी के समय सरकार के हस्तक्षेप पर आधारित है जिससे मांग और रोजगार को बढ़ावा मिलता है।
- आय प्रभाव: ग्रामीण परिवारों को आय प्रदान कर NREGA खपत को बढ़ाता है, जिससे आर्थिक वृद्धि को सहारा मिलता है।
- उदाहरण: बिहार का एक ग्रामीण परिवार सूखे मौसम में जल संरक्षण संरचनाएँ बनाने में भाग लेकर आय अर्जित करता है और स्थानीय बुनियादी ढाँचे में सुधार करता है।
2. प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY):-
- विवरण: यह एक प्रोत्साहन योजना है, जो नियोक्ताओं को नए रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करती है। इसमें सरकार नए कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में 12% योगदान करती है।
- सिद्धांत:-
- रोजगार सब्सिडी सिद्धांत: यह योजना नियोक्ताओं की भर्ती लागत को कम करती है और नए रोजगार को बढ़ावा देती है।
- उदाहरण: गुजरात की एक विनिर्माण कंपनी 50 नए श्रमिकों को भर्ती करती है और उनके EPF व EPS खातों में सरकार योगदान देती है।
3. मेक इन इंडिया (Make In India):-
- विवरण: यह पहल घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देकर रोजगार सृजित करने का उद्देश्य रखती है। यह देशी और विदेशी दोनों कंपनियों को भारत में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- सिद्धांत:-
- औद्योगिकीकरण सिद्धांत: विनिर्माण को बढ़ावा देने से कारखानों, आपूर्ति श्रृंखला और संबद्ध उद्योगों में रोजगार उत्पन्न होते हैं।
- उदाहरण: Xiaomi और Samsung जैसी कंपनियों ने भारत में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित कीं, जिससे असेंबली लाइन और संबंधित सेवाओं में हज़ारों नौकरियाँ पैदा हुईं।
4. स्किल इंडिया (Skill India):-
- विवरण: यह अभियान युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने हेतु विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिससे कौशल उद्योग की मांग से मेल खा सकें।
- सिद्धांत:-
- मानव पूँजी सिद्धांत: कौशल विकास मानव पूँजी में सुधार करता है, जिससे रोजगार क्षमता और आय दोनों बढ़ती हैं।
- उदाहरण: केरल का एक युवक आतिथ्य प्रबंधन (हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट) में प्रशिक्षण लेकर पर्यटन क्षेत्र में नौकरी पाता है।
5. स्टार्ट-अप इंडिया (Start up India):-
- विवरण: यह पहल उद्यमिता को बढ़ावा देती है और स्टार्ट-अप व्यवसायों के विकास में सहयोग करती है। इसमें कर लाभ और वित्त पोषण तक पहुँच जैसे प्रोत्साहन शामिल हैं।
- सिद्धांत:-
- उद्यमिता सिद्धांत: उद्यमिता को प्रोत्साहित करने से नए व्यवसाय शुरू होते हैं और रोजगार उत्पन्न होता है।
- उदाहरण: बेंगलुरु का एक तकनीकी उद्यमी नई सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू करता है और इंजीनियरों व डिज़ाइनरों को नियुक्त करता है।
6. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana (PMKVY):-
- विवरण: यह योजना युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण व प्रमाणपत्र देकर उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाने का कार्य करती है।
- सिद्धांत:-
- कौशल असमानता सिद्धांत: यह योजना कौशल अंतराल को दूर करती है ताकि लोग उपयुक्त नौकरियाँ पा सकें।
- उदाहरण: राजस्थान की एक युवती PMKVY के तहत स्वास्थ्य सेवाओं का कोर्स पूरा कर स्थानीय अस्पताल में नर्स बन जाती है।
7. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना Pradhan Mantri MUDRA Yojana (PMMY):-
- विवरण: यह योजना सूक्ष्म उद्यमों व छोटे व्यवसायों को “शिशु, किशोर, तरुण” श्रेणी के अंतर्गत ऋण देकर आत्म-रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
- सिद्धांत:-
- लघु व्यवसाय विकास सिद्धांत: छोटे व्यवसायों को समर्थन देने से रोजगार और आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।
- उदाहरण: मुंबई की एक स्ट्रीट वेंडर PMMY के तहत ऋण लेकर अपना फूड स्टॉल विस्तार करती है और अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करती है।
8. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY):-
- विवरण: यह योजना ग्रामीण युवाओं को प्लेसमेंट-आधारित कौशल प्रशिक्षण देती है ताकि वे कृषि और अन्य क्षेत्रों में रोजगार पा सकें।
- सिद्धांत:-
- ग्रामीण विकास सिद्धांत: ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास से बेरोज़गारी कम होती है और शहरी पलायन घटता है।
- उदाहरण: झारखंड का एक युवक जैविक खेती का प्रशिक्षण लेकर स्थानीय सहकारी समिति में नौकरी पाता है।
9. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP):-
- विवरण: यह ऋण-लिंक्ड सब्सिडी योजना है जो सूक्ष्म उद्यमियों को नए प्रोजेक्ट शुरू करने या पुराने का विस्तार करने हेतु प्रोत्साहित करती है।
- सिद्धांत:-
- सूक्ष्म उद्यम विकास सिद्धांत: सूक्ष्म उद्यमों को बढ़ावा देने से जमीनी स्तर पर रोजगार उत्पन्न होता है।
- उदाहरण: उत्तर प्रदेश का एक कारीगर PMEGP से ऋण लेकर हस्तशिल्प व्यवसाय शुरू करता है और स्थानीय कारीगरों को रोजगार देता है।
10. औद्योगिक कॉरिडोर विकास:-
- विवरण: दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC) और चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक कॉरिडोर (CBIC) जैसे प्रोजेक्ट उद्योगिक केंद्र विकसित कर रोजगार बढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं।
- सिद्धांत:-
- क्लस्टर विकास सिद्धांत: औद्योगिक कॉरिडोर उद्योग और सेवाओं की एकाग्रता को बढ़ावा देकर नौकरियाँ उत्पन्न करते हैं।
- उदाहरण: DMIC ने गुजरात और महाराष्ट्र में औद्योगिक केंद्र स्थापित किए, जिससे विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियाँ बढ़ीं।
11. स्वच्छ भारत मिशन:-
- विवरण: यह अभियान पूरे भारत में स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसका मुख्य फोकस स्वच्छता है, लेकिन यह कचरा प्रबंधन और संबंधित सेवाओं में रोजगार भी उत्पन्न करता है।
- सिद्धांत:-
- पर्यावरणीय रोजगार सिद्धांत: पर्यावरणीय पहलों में निवेश से ग्रीन सेक्टर में नौकरियाँ उत्पन्न होती हैं।
- उदाहरण: शौचालय निर्माण व रखरखाव ने राजमिस्त्रियों और सफाई कर्मचारियों को रोजगार दिया।
12. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM):-
- विवरण: यह मिशन शहरी गरीबों को कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर देकर शहरी गरीबी कम करने का प्रयास करता है। इसमें दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
- सिद्धांत:-
- शहरी गरीबी उन्मूलन सिद्धांत: शहरी क्षेत्रों में रोजगार और आय सृजन पर ध्यान केंद्रित कर गरीबों को गरीबी से बाहर निकाला जा सकता है।
- उदाहरण: DAY-NULM शहरी स्व-रोजगार उपक्रमों (जैसे छोटी दुकानें या सेवाएँ) हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
13. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN):-
- विवरण: यह योजना छोटे और सीमांत किसानों को सीधी वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यद्यपि इसका प्राथमिक उद्देश्य कृषि समर्थन है, लेकिन यह अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामीण रोजगार में योगदान करती है।
- सिद्धांत:-
- कृषि आय प्रभाव: किसानों को सहयोग देकर ग्रामीण आय स्थिर होती है और स्थानीय रोजगार को सहारा मिलता है।
- उदाहरण: पंजाब का एक छोटा किसान PM-KISAN के तहत वित्तीय सहायता पाकर अपने परिवार और कृषि मज़दूरों की जीविका बनाए रखता है।
14. राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS):-
- विवरण: यह एक सरकारी पोर्टल है जो नौकरी चाहने वालों को नियोक्ताओं से जोड़ता है और करियर परामर्श सेवाएँ देता है। इसका उद्देश्य रोजगार के अवसरों को सरल और कुशल बनाना है।
- सिद्धांत:-
- श्रम बाज़ार दक्षता सिद्धांत: NCS नौकरी चाहने वालों को उपयुक्त अवसरों से जोड़कर श्रम बाज़ार की दक्षता बढ़ाता है।
- उदाहरण: महाराष्ट्र का एक स्नातक NCS पोर्टल के माध्यम से अपने क्षेत्र में नौकरी ढूँढता है और करियर मार्गदर्शन प्राप्त करता है।
15. स्टार्ट-अप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (SVEP):-
- विवरण: यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में आत्म-रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देता है, गाँव स्तर पर सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना का समर्थन करता है।
- सिद्धांत:-
- ग्रामीण उद्यमिता सिद्धांत: ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को प्रोत्साहन देने से रोजगार और आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ती हैं।
- उदाहरण: ओडिशा का एक ग्रामीण उद्यमी SVEP के समर्थन से लघु खाद्य प्रसंस्करण इकाई शुरू करता है और स्थानीय लोगों को रोजगार देता है।
16. राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप प्रोत्साहन योजना (NAPS):-
- विवरण: यह योजना नियोक्ताओं को प्रशिक्षु (apprentice) रखने हेतु प्रोत्साहित करती है, जिससे युवाओं को ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर मिलते हैं।
- सिद्धांत:-
- अप्रेंटिसशिप के माध्यम से कौशल विकास: NAPS युवाओं को व्यावहारिक कौशल और अनुभव दिलाकर उनकी रोजगार क्षमता बढ़ाता है।
- उदाहरण: तमिलनाडु की एक विनिर्माण कंपनी इंजीनियरिंग स्नातकों को प्रशिक्षु बनाकर उनके कौशल में सुधार करती है।
17. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM):-
- विवरण: यह मिशन ग्रामीण गरीबी घटाने हेतु आत्म-रोजगार और आजीविका में सुधार पर केंद्रित है। इसमें दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) शामिल है।
- सिद्धांत:-
- ग्रामीण आर्थिक सशक्तिकरण सिद्धांत: ग्रामीण समुदायों को आत्म-रोजगार और आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त करने से गरीबी घटाई जा सकती है।
- उदाहरण: बिहार में DAY-NRLM महिला स्वयं सहायता समूहों को हस्तशिल्प और छोटे व्यवसायों में सहयोग देता है।
18. स्वर्ण जयंती रोजगार योजना (SJSRY):-
- विवरण: यह योजना शहरी और ग्रामीण गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु आत्म-रोजगार उपक्रम, वेतन आधारित रोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा देती है।
- सिद्धांत:-
- गरीबी उन्मूलन सिद्धांत: रोजगार और आत्म-रोजगार अवसरों के माध्यम से वंचित वर्गों को सशक्त बनाना।
- उदाहरण: कोलकाता का एक हाशिए पर खड़ा युवा SJSRY की मदद से इलेक्ट्रॉनिक्स मरम्मत की दुकान खोलता है और रोजगार पाता है।
19. उड़ान – जम्मू एवं कश्मीर हेतु विशेष औद्योगिक पहल:-
- विवरण: यह पहल जम्मू-कश्मीर के युवाओं को कौशल विकास और रोजगार के अवसर देती है, जिससे बेरोज़गारी कम हो और आर्थिक विकास बढ़े।
- सिद्धांत:-
- क्षेत्रीय विकास सिद्धांत: विशिष्ट क्षेत्रों में लक्षित पहलों से रोजगार और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
- उदाहरण: श्रीनगर का एक स्नातक उड़ान कार्यक्रम के तहत सॉफ्टवेयर विकास का प्रशिक्षण पाकर IT कंपनी में नौकरी करता है।
20. प्रधानमंत्री वन धन योजना (PMVDY):-
- विवरण: यह योजना आदिवासी समुदायों को वन धन विकास केंद्र (VDVKs) स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करती है, ताकि वे पारंपरिक कौशल और संसाधनों से आजीविका कमा सकें।
- सिद्धांत:-
- जनजातीय सशक्तिकरण सिद्धांत: आदिवासी समुदायों के आर्थिक कल्याण पर ध्यान देकर सतत आजीविका का निर्माण।
- उदाहरण: ओडिशा की एक जनजातीय समुदाय VDVK स्थापित कर वनोपज का मूल्य संवर्धन करती है और आय अर्जित करती है।
21. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM):-
- विवरण: यह मिशन मुख्यतः स्वास्थ्य सेवाओं पर केंद्रित है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य पेशेवरों, सहायक स्टाफ और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को रोजगार देकर रोज़गार सृजित करता है।
- सिद्धांत:-
- स्वास्थ्य रोजगार सिद्धांत: स्वास्थ्य संरचना का विस्तार चिकित्सा क्षेत्र में नौकरियाँ पैदा करता है।
- उदाहरण: ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए NHM नर्स, डॉक्टर और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करता है।
22. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY):-
- विवरण: यह एक फसल बीमा योजना है जो किसानों को फसल क्षति से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाती है। इसका मुख्य उद्देश्य जोखिम प्रबंधन है, लेकिन यह अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामीण रोजगार का समर्थन करती है।
- सिद्धांत:-
- कृषि आय स्थिरीकरण सिद्धांत: किसानों की आय स्थिर होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार भी स्थिर रहता है।
- उदाहरण: हरियाणा का एक किसान फसल बीमा से मुआवज़ा पाकर नुकसान से उबरता है और अपने परिवार व मज़दूरों की जीविका बनाए रखता है।
इस प्रकार, स्वच्छता अभियानों से लेकर कृषि समर्थन और शहरी-ग्रामीण आजीविका कार्यक्रमों तक, ये सभी पहल भारत की बहुआयामी रोजगार रणनीति को दर्शाती हैं। इनसे विभिन्न क्षेत्रों और जनसमूहों में अवसर पैदा होते हैं और बेरोज़गारी घटाने में मदद मिलती है।