उर्जित पटेल कमेटी (Urjit patel committee) की स्थापना भारत में मौद्रिक नीति ढांचे को संशोधित और मजबूत बनाने के उद्देश्य से की गई थी। इस कमेटी के प्रमुख दृष्टिकोण, अवधारणाएँ और सिफारिशें निम्नलिखित हैं:
1. मुद्रा विनिमय दर (Exchange Rate) पर ध्यान:- कमेटी ने यह रेखांकित किया कि विनिमय दर का प्रबंधन आर्थिक मूलभूत कारकों के अनुसार होना चाहिए। इससे विदेशी निवेश आकर्षित करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद मिलती है।
2. अनेक संकेतकों (Multiple Indicators) पर ध्यान:- कमेटी ने सुझाव दिया कि केवल एक संकेतक पर निर्भर न होकर कई संकेतकों का उपयोग करके अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है, जिससे मौद्रिक नीति अधिक प्रभावी रूप से बनाई जा सके।
3. मुद्रास्फीति (Inflation) पर ध्यान:- कमेटी ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) को प्रमुख मापदंड के रूप में अपनाया जाए, और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) से दूरी बनाई जाए।
4. नाममात्र (Nominal Anchor) – CPI विधि:- CPI के उपयोग से मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य के भीतर रखने का सुझाव दिया गया, जिसमें +/- 2% की सहनशीलता बैंड हो। इससे मौद्रिक नीति संचालन में स्पष्टता और पारदर्शिता आती है और मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
5. मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण ढांचा (Inflation Targeting Framework):- एक लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण ढांचा अपनाने की सिफारिश की गई, ताकि मुद्रास्फीति को लक्ष्य सीमा में बनाए रखा जा सके, जिससे कीमतों और अर्थव्यवस्था की स्थिरता सुनिश्चित हो।
6. मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC):- बेहतर निर्णय लेने के लिए गवर्नर के नेतृत्व में एक MPC की स्थापना की सिफारिश की गई। इससे नीति निर्माण और कार्यान्वयन में संरचित और सहयोगात्मक दृष्टिकोण आता है।
7. द्वि-मासिक मौद्रिक नीति चक्र और अन्य सुधार:- कमेटी ने द्वि-मासिक नीति समीक्षा चक्र अपनाने, LAF के तहत ओवरनाइट तरलता की पहुँच कम करने और अन्य सुधारों की सिफारिश की, ताकि मौद्रिक नीति ढांचा अधिक मजबूत और आर्थिक परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील हो।
उर्जित पटेल कमेटी के प्रभाव (Impact of Urjit Patel Committee:) :-
उर्जित पटेल कमेटी की सिफारिशों का भारत की मौद्रिक नीति और अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:-
1. मौद्रिक नीति समिति (MPC) की स्थापना:- MPC की स्थापना से नीति निर्माण और कार्यान्वयन में संरचित और सहयोगात्मक दृष्टिकोण आया। यह मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
2. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर संक्रमण:- CPI को मुद्रास्फीति मापन का प्राथमिक उपाय बनाने से वास्तविक जीवन में कीमतों और महंगाई का सटीक प्रतिबिंब मिला, जो पहले WPI पर निर्भर था।
3. मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण ढांचा:- लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण ढांचा अपनाने से मुद्रास्फीति को 4% ± 2% के लक्ष्य के भीतर बनाए रखने में मदद मिली, जिससे कीमतों में स्थिरता और अपेक्षाओं का बेहतर प्रबंधन हुआ।
4. द्वि-मासिक मौद्रिक नीति समीक्षा चक्र:- नीति की द्वि-मासिक समीक्षा से अर्थव्यवस्था में परिवर्तनों पर तेजी से प्रतिक्रिया देना संभव हुआ, जिससे नीति अधिक प्रभावी हुई।
5. पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार:- कमेटी द्वारा सुझाए गए सुधारों से नीति संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी, जिससे जनता और बाजार में विश्वास बना।
6. विनिमय दर प्रबंधन में सुधार:- बेहतर विनिमय दर प्रबंधन से मुद्रा स्थिर हुई, विदेशी निवेश बढ़ा और अर्थव्यवस्था मजबूत हुई।
7. मौद्रिक नीति का आधुनिकीकरण:- कमेटी की सिफारिशों ने भारत की मौद्रिक नीति को आधुनिक बनाया और इसे वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप किया।
8. मौद्रिक नीति संचार में सुधार:- स्पष्ट लक्ष्य और संरचित ढांचे से केंद्रीय बैंक और बाजार के बीच संचार बेहतर हुआ, जिससे निर्णयों की बेहतर प्रत्याशा और प्रतिक्रिया संभव हुई।
इन सुधारों ने भारत के मौद्रिक नीति ढांचे को अधिक स्थिर, पारदर्शी और प्रभावी बनाया। उर्जित पटेल कमेटी ने भारत में मजबूत और सुदृढ़ मौद्रिक नीति प्रणाली की नींव रखी।
भारत में अन्य महत्वपूर्ण समितियाँ (Other Important Committees in India:) :-
1. करेंसी मूवमेंट समिति (Committee on Currency Movement): RBI ने 30 सितंबर 2019 तक सभी बैंकों को निर्देश दिया कि उनके एटीएम्स को दीवार, स्तंभ या फर्श से सुरक्षित किया जाए, ताकि नकदी सुरक्षा बढ़ सके।
2. एस. चक्रवर्ती समिति और नरसिम्हा समिति: इन समितियों ने मुद्रा बाजार सुधारों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे भारतीय बैंकिंग प्रणाली की क्षमता बढ़ी और वित्तीय संस्थान अंतरराष्ट्रीय मानकों पर पहुँचे।
3. विभिन्न समितियाँ: A.C. शाह समिति (NBFC), नरसिम्हा समिति (वित्तीय प्रणाली सुधार), रंगराजन समिति (बैंकिंग उद्योग में कंप्यूटरीकरण) आदि ने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं पर ध्यान दिया।
4. बैंकिंग क्षेत्र सुधार समितियाँ: नरसिम्हा समिति और UK शर्मा समिति ने बैंकिंग क्षेत्र सुधारों और NABARD की भूमिका को मजबूत बनाने पर काम किया।
नरसिम्हा समिति और UK शर्मा समिति ने बैंकिंग क्षेत्र सुधारों और NABARD की भूमिका को मजबूत बनाने पर काम किया।
उर्जित पटेल कमेटी की सिफारिशों ने भारत में मौद्रिक नीति को संरचित ढांचा प्रदान किया और मुद्रास्फीति नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया, जो आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। CPI को प्राथमिक मापदंड बनाने और MPC की स्थापना करने जैसे सुधारों ने मौद्रिक नीति की प्रभावशीलता बढ़ाई।



